बनारस न्यूज डेस्क: बिहार विधानसभा चुनाव में इस बार मुकाबला और भी दिलचस्प हो गया है। नामांकन की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है और अब सभी पार्टियां मैदान में उतर चुकी हैं। हर दल अपने-अपने तरीके से मतदाताओं को लुभाने की कोशिश कर रहा है। लेकिन भारतीय जनता पार्टी ने जो नया दांव चला है, उसने बाकी दलों की चिंता बढ़ा दी है। इस बार बीजेपी ने प्रचार के लिए एक अनोखी टीम तैयार की है — वाराणसी की मुस्लिम महिलाओं की।
वाराणसी से आने वाली ये मुस्लिम महिलाएं बिहार के विभिन्न इलाकों में जाकर प्रचार करेंगी। इनका मकसद तीन तलाक़ कानून के ज़रिए महिलाओं को मिली आज़ादी और सुरक्षा के बारे में लोगों को जागरूक करना है। साथ ही वे पीएम मोदी और सीएम योगी के सुशासन में मुस्लिम समाज को मिली सुविधाओं जैसे राशन योजना और आयुष्मान भारत कार्ड के लाभों का भी ज़िक्र करेंगी।
बीजेपी की यह महिला टीम खासतौर पर बिहार के मुस्लिम बहुल इलाकों का दौरा करेगी। बताया जा रहा है कि करीब 30 महिलाएं पश्चिमी बिहार के मुस्लिम इलाकों में घर-घर जाकर लोगों से बात करेंगी। ये महिलाएं उन मुस्लिम परिवारों से संवाद करेंगी जो पहले से ही तीन तलाक़ कानून और सरकारी योजनाओं से प्रभावित हैं। यह कदम बीजेपी के सामाजिक विस्तार के प्रयासों का हिस्सा माना जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी की यह रणनीति महागठबंधन के पारंपरिक “एमवाई समीकरण” को चुनौती दे सकती है। राजद का वोटबैंक लंबे समय से मुस्लिम और यादव समुदाय पर आधारित रहा है। ऐसे में मुस्लिम महिलाओं की यह पहल अगर असर दिखाती है, तो इसका सीधा नुकसान महागठबंधन को और फायदा एनडीए को मिल सकता है। बिहार का चुनाव इस बार सिर्फ सत्ता का नहीं, बल्कि नए समीकरणों का भी खेल बनता जा रहा है।